लोन के फेर में गंवाई कमाई

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : अगर आप अखबारों व अन्य जगहों पर आकर्षक विज्ञापन देखकर लोन लेने की सोच रहे हैं तो संभल जाएं। लोन लेने के चक्कर में आप जमा पूंजी भी गंवा सकते हैं। संचार मंत्रालय का एक कर्मचारी इन दिनों ऐसे ही जाल में फंस गया है। अब वह मुकदमा दर्ज कराने के लिए संसद मार्ग व बाराखंभा थाने के चक्कर काट रहा है, लेकिन उसकी शिकायत नहीं सुनी जा रही है।
पीड़ित व्यक्ति का नाम महिंदर सिंह है। वह रोहिणी, एमआईजी फ्लैट, सेक्टर 23 में परिवार समेत रहता है और पटेल चौक स्थित संचार मंत्रालय में नौकरी करता है। उसे अपने बेटे को व्यापार कराने के लिए पैसों की सख्त आवश्यकता थी। लिहाजा वह लोन के लिए बातचीत कर रहा था। 20 दिसंबर को एक हिंदी अखबार में छपे विज्ञापन में बिना किसी खर्च के आसानी से लोन लेने की बात लिखी थी। महिंदर ने 22 दिसंबर को विज्ञापन में दर्ज दो मोबाइल नंबरों पर संपर्क किया तो फोन उठाने वाले ने अपना नाम चौहान बताया। बातचीत में उसने महिंदर को भरोसा दिलाया कि वह जल्दी ही आदर्श फाइनेंस से एक फीसदी ब्याज दर पर लोन दिला देगा। महिंदर उसके झांसे में आ गया। चौहान ने उसी दिन मोबाइल से एसएमएस भेजकर महिंदर से कहा कि वह ईमेल पर बैंक स्टेटमेंट, वेतनपर्ची, आयकर रिटर्न व आइडी प्रूफ भेज दें। महिंदर ने बेटे के माध्यम से सभी दस्तावेज ईमेल पर भेज दिए। अगले दिन चौहान ने फोन कर महिंदर को बताया कि उसका लोन पास हो गया है। वह संदीप बधेरा के नाम से पीएनबी की पटेल चौक वाली शाखा में 4700 रुपये जमा करा दें। महिंदर ने यह रकम एकाउंट में जमा करा दी। इसके बाद चौहान ने महिंदर से 20 हजार रुपये और उसी एकाउंट में जमा करने को कहा। इस पर महिंदर को शक हुआ और उसने लोन लेने से मना करते हुए 4700 रुपये वापस मांगे। इस पर चौहान ने पैसे देने से इनकार कर दिया। इसके बाद से चौहान के दोनों नंबर बंद पड़े हैं। महिंदर जब चौहान द्वारा बताए गए बाराखंभा इलाके में आफिस पहुंचा तो वह पता ही फर्जी निकला। इसके बाद बैंक एकांउट वाले संदीप के पते पर रोहिणी जाया गया तो वह पता भी फर्जी निकला। तब महिंदर पहले संसद मार्ग थाने शिकायत करने पहुंचा। वहां से उसे बाराखंभा थाना भेज दिया गया। यहां भी तरह-तरह की मजबूरी बता मुकदमा दर्ज करने से मना कर दिया गया।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि इस तरह के मामले में बैंकों की भी मिलीभगत होती है, क्योंकि सही लोगों के एकाउंट खोलने में बैंक कई तरह के कागजात मांगे जाते हैं। जबकि दूसरी तरफ फर्जी कागजातों पर एकाउंट खोल दिए जाते हैं।

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