60 हजार रु. का पड़ा थप्पड़ मारना, कपड़े उतरवाना


भोपाल. एक छात्र को पुलिस जवानों द्वारा सरेराह चांटे मारकर रौब गांठने की हरकत को मानवाधिकार आयोग ने गंभीरता से लिया है। आयोग ने गृह विभाग को सिफारिश की है कि वह पीड़ित को साठ हजार रुपए क्षतिपूर्ति दे।

हालांकि दोषी करार दिए गए पुलिस वालों ने सिफारिश को मानने से इंकार करते हुए इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है। वहीं, डीजीपी ने आयोग की सिफारिश पर अमल कराए जाने की बात कही है।

घटना तीन साल पहले रातीबढ़ थाने में हुई थी। मानवाधिकार आयोग ने 16 जुलाई 2007 के एक लंबित मामले की सुनवाई 22 दिसंबर को करते हुए पीड़ित को राहत प्रदान की है। जहांगीराबाद निवासी छात्र जुनेद खां ने आयोग में शिकायत की थी कि वह सीए की पढ़ाई कर रहा है।

वह अपने दोस्त मोहम्मद जासिम के साथ 15 जुलाई 2007 को केरवा डेम से घूम कर लौट रहा था।

तभी रास्ते में आरक्षक सुरेंद्र राठौर और संजय मिश्रा ने उन्हें रोककर कहा कि तुमने एक पुलिस वाले को टक्कर मारी है,थाने चलो। जब हमने थाने चलने से इनकार किया, तो उन्होंने हमें चांटे मारे और हमें जबरदस्ती थाने ले गए और धारा 279 और 337 के तहत प्रकरण दर्ज किया। इसके बाद उन्होंने हमारे कपड़े उतरवाए और हमारे साथ मारपीट शुरू कर दी।

उन्होंने हमारे हाथ के पंजों की अंगुलियों में पेन की लीड फंसाकर जूते से कुचला । साथ ही गुप्तांगों पर भी चोट पहुंचाई। मुझे और मेरे दोस्त को इतनी बुरी तरह पीटा कि उसके मुंह से झाग निकलने लगा। वहां उपस्थित प्रधान आरक्षक मोहन सिंह ने दोनों आरक्षकों को क्रूर व्यवहार करने से नहीं रोका।

वे मूकदर्शक बने देखते रहे। इसके बाद जब वहां थाना प्रभारी अजय राजसिंह राणा आए तो उन्होंने प्रकरण की पूरी जानकारी ली। उन्होंने मेरे पिताजी को फोन करके बुलाया और हमें जमानत पर छोड़ दिया और कहा कि आप बेटे को ले जाएं। मेरी और दोस्त की हालत को देखते हुए मेरे पिताजी और चाचा हमीदिया लेकर गए और इलाज कराया।

आयोग की सिफारिश पर कराएंगे अमल

मानवाधिकार आयोग जो भी अनुशंसा करता है,उस पर अमल किया जाता है । इस मामले में भी अमल किया जाएगा। हां, यह बात अलग है कि कुछ मामलों को लेकर विभाग सहमत नहीं होता है तो उसे पुनर्विचार के लिए आयोग को वापस भेज दिया जाता है।एसके राउत, डीजीपी

सही पाई गई शिकायत

आयोग के जांच दल ने प्रकरण की जांच की और शिकायत को सही पाया। प्रधान आरक्षक मोहन सिंह ने भी स्वीकार किया कि वे वहां उपस्थित थे और चुपचाप खड़े थे। आयोग ने उनकी इस हरकत को भी क्रूरता की श्रेणी में रखा।

आयोग ने तत्कालीन थाना प्रभारी अजयसिंह राणा के विरुद्ध तथ्य प्रमाणित नहीं पाए जाने के कारण बरी कर दिया। आयोग ने तीनों पुलिस वालों को जुनेद खां और उसके दोस्त मोहम्मद जासिम को चांटे मार कर चोट पहुंचाने, उनकी प्रतिष्ठा और जीवन संबंधी मानवाधिकारों के हनन का दोषी पाया। आयोग ने गृह विभाग से आवेदकों को क्षतिपूर्ति देने की सिफारिश की है। आयोग ने कहा कि गृह विभाग चाहे तो दोषी पाए गए मोहन सिंह,सुरेंद्र राठौर और संजय मिश्रा से २क्-२क् हजार रुपए वसूलकर आवेदकगण को दे सकता है।

करेंगे अपील

रातीबड़ थाने के तत्कालीन प्रधान आरक्षक मोहन सिंह इस समय परवलिया थाने में एएसआई हैं। इस समय आरक्षक संजय मिश्रा बिलखिरिया थाना और सुरेंद्र राठौर गोविंदपुरा थाने में पदस्थ हैं, इन तीनों का कहना है कि आयोग की सिफारिश के खिलाफ वे हाईकोर्ट में अपील करेंगे।

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