फीचर



आज्ञाकारी बेटा, प्यारा भाई, विनम्र शिष्य, जिगरी दोस्त, वफादार पति और स्नेहिल पिता। स्टेडियम ही नहीं, जिंदगी की हर पिच के सुपरमैन हैं सचिन तेंदुलकर। वाकई ऐसा भगवान के साथ ही हो सकता है कि प्रियजनों के साथ प्रतिद्वंद्वियों के हाथ भी जुड़ जाएं दुआ के लिए! अब कुछ बचा रह गया है तो बस आईसीसी विश्वकप को भारत लाना!
मास्टर स्ट्रोक
''व‌र्ल्डकप में मैं अपना बेहतरीन प्रदर्शन करूंगा, बाकी सब तो भगवान के हाथ में है। खेल से रिटायर होने के बाद मैं क्या करूंगा, इस बारे में अभी से कुछ नहीं कह सकता। ऐसा जब होगा तब ही मैं इसके बारे में कुछ सोचूंगा, लेकिन अभी तो मेरी जिंदगी में क्रिकेट के अलावा और कुछ नहीं है!''
[सचिन तेंदुलकर]
सूरज को सलामी
सचिन का मानना है कि कामयाबी के पीछे 1 प्रतिशत भाग्य होता है और 99 फीसदी कड़ी मेहनत। बचपन में अपनाई इस फिलॉसफी पर वे आज तक कायम हैं। पीटर रोबक ने अपनी पुस्तक इट टेक्स ऑल सॉर्ट्स में सचिन और कांबली के समकालीन डेविड इन्निस का एक अनुभव दर्ज किया है, ''मैं एक दिन तड़के कोच शिवालकर से बात कर रहा था कि एक घुंघराले बालों वाला लड़का आया और बोला कि माली सुबह छह बजे से पहले नेट लगाने को तैयार नहींहै। उसने पूछा कि क्या वह खुद नेट लगा सकता है? कुछ सालों बाद मैंने फिर से वैसा ही वाकया देखा जब सचिन सुबह तीन बजे से कॉरीडोर में प्रैक्टिस कर रहे थे और उन्होंने साढ़े पाँच बजे कोच को यह कह कर मैदान में चलने के लिए जगाया कि वह अपनी बैटिंग से संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं।'' सूरज उगने से पहले स्टेडियम में प्रैक्टिस की सचिन की आदत आज भी बरकरार है। वे अक्सर बांद्रा स्थित एमसीए ग्राउंड या एमआईजी क्लब में अकेले अभ्यास करते मिलते हैं!
भाई ने जगाया भारत का भाग्य
बस कल्पना ही की जा सकती है कि अगर क्रिकेट की जगह सचिन अपने मनपसंद खेल टेनिस में चले गए होते तो आज टीम इंडिया का क्या होता? 24 अप्रैल 1973 को मुंबई में जन्मे सचिन बचपन में विंबलडन चैंपियन जॉन मैकनरो के दीवाने थे। आठ साल की नन्ही उम्र में वे अपने घुंघराले बालों पर मैकनरो की स्टाइल का बैंड लगा कर घूमते थे। उनकी जिद थी कि उन्हें 'मैक' कह कर ही पुकारा जाए। यह तो उनके भाई अजीत थे, जिन्होंने सचिन को क्रिकेट की तरफ प्रोत्साहित किया और आचरेकर जी के पास ले गये।
खुद-ब-खुद बनेंगे रिकार्ड
19 फरवरी को आईसीसी व‌र्ल्डकप-2011 के उद्घाटन मैच में शेर-ए-बांग्ला स्टेडियम, मीरपुर के मैदान पर पहला कदम रखते ही सचिन बिना बल्ला घुमाए तीन रिकार्ड कायम कर देंगे.. पहला, वे जावेद मियांदाद के बाद 6 व‌र्ल्डकप खेलने वाले इकलौते खिलाड़ी बन जाएंगे.. दूसरा, वे दुनिया में सबसे ज्यादा वनडे मैच खेलने वाले खिलाड़ी बन जाएंगे.. तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण यह, कि वे विश्व इतिहास के ऐसे पहले खिलाड़ी होंगे जो उस व‌र्ल्डकप में खेल रहा होगा, जिसका वह खुद ही ब्रांड एंबैसडर भी चुना गया है!
आराम हराम है
आईसीसी व‌र्ल्डकप-2003 में सचिन दक्षिण अफ्रीका के सैंडटन होटल में ठहरे हुए थे। यह शानदार डबल बेड वाला बहुत बड़ा कमरा था, लेकिन वे फर्श पर तौलिया बिछा कर सोते थे। कारण था उनकी पीठ का दर्द और वे नहीं चाहते थे कि यह आरामतलबी के कारण ऐसा भड़क जाए कि मैच पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़े!
लकी नंबर 13!
कोच की सलाह पर स्कूल बदलकर शारदाश्रम विद्या मंदिर (दादर) जाना सचिन के जीवन का टर्रि्नग पाइंट था। यह स्कूल शिवाजी पार्क के पास था, जहां रमाकांत आचरेकर क्रिकेट की कोचिंग देते थे। सचिन कहते हैं, 'जब कभी भी मैं थक जाता था, तो आचरेकर सर स्टंप पर एक रुपए का सिक्का रखकर कहते जो खिलाड़ी मुझे आउट कर देगा वह यह सिक्का ले लेगा, लेकिन अगर कोई आउट नहीं कर सका, तो सिक्का सचिन को मिलेगा।' सचिन आज भी मानते हैं कि इस प्रलोभन ने उन्हें एकाग्रता बढ़ाने में सबसे ज्यादा मदद की। प्रैक्टिस सेशन के दौरान इस तरह जीते गए 13 सिक्के आज भी उनके लिए सबसे मूल्यवान हैं।
माँ ने लौटाया मैदान पर
1999 के व‌र्ल्डकप में भारत अपने पहले दो मैच दक्षिण अफ्रीका व जिंबाब्वे से हार गया था। 18 मई को सचिन को एक बुरी खबर मिली कि उनके पिता का देहांत हो गया है। वे भारत लौट आए, लेकिन पिता के अंतिम संस्कार के बाद माँ ने उनसे कहा कि वे वापस जाकर खेलें। सचिन कहते हैं, ''पिताजी की मृत्यु के तीन दिन बाद ही मैदान में उतरना बहुत मुश्किल था पर माँ ने कहा अगर पिताजी होते तो उनकी यही इच्छा होती।'' सचिन वापस इंग्लैंड लौटे और केन्या के खिलाफ शतक बनाया। नम आँखों से आकाश की ओर देखा और बुदबुदाए, 'पिताजी ..यह आपके लिए!'' इस पारी के बाद सुनील गावस्कर ने लिखा, ''प्रो. तेंदुलकर ने जीवन में कभी सचिन को मैदान में खेलते नहीं देखा, बस हाईलाइट्स देखते थे। किंतु, अब वे स्वर्ग से सचिन को विश्व का महानतम बल्लेबाज बनते देखेंगे और देखेंगे खुशी से झूमते करोड़ों प्रशंसकों को!''
बोल रहा है बीबीसी
..हेलमेट के अंदर, घुंघराले बालों के नीचे, क्रेनियम के भीतर.. कुछ है जिसको हम नहीं जानते.. कुछ है जो वैज्ञानिक पैमानों से ऊपर है। वहाँ (सचिन के दिमाग में) कुछ तो है, जो उन्हें खेल के मैदान में छा जाने को प्रेरित करता है। हमें छोड़िए, इस खेल के महारथी भी उनकी थाह नहीं ले सकते। जब वह बल्लेबाजी के लिए उतरते हैं, लोग टी.वी. सेट को स्विचऑन और अपनी जिंदगियों को स्विचऑफ कर देते हैं!
दिल से निकली है दुआ
लोग कह रहे हैं कि यह सचिन का आखिरी व‌र्ल्डकप है, लेकिन मैं इस पर विश्वास नहीं करता। संभवत: हम उन्हें अगले व‌र्ल्डकप में भी खेलते हुए देखेंगे। मुझे महसूस होता है कि जब तक वह ट्राफी नहीं जीत लेते, मैदान नहीं छोड़ेंगे!
[कपिल देव]
मैं दिल से दुआ करता हूँ कि यह उनका आखिरी व‌र्ल्डकप न हो और वे एक और (व‌र्ल्डकप) खेलें। भारतीय टीम के सभी सदस्य सचिन के लिए ट्राफी फतह करना चाहते हैं।
[गौतम गंभीर]
यह (टीम इंडिया) एक बेहतरीन टीम है और उन्हें तेंदुलकर के लिए ट्राफी जीतनी ही चाहिए।
[बिशन सिंह बेदी]
सचिन को सलाम
मैंने सचिन को टी.वी. पर खेलते हुए देखा और उसकी तकनीक देख कर स्तब्ध रह गया। मैंने अपनी पत्नी को बुलाया और वह बोली, ''अरे, यह तो आपकी तरह ही खेलता है.. वही तरीका, वैसे ही स्ट्रोक..!''
[स्व. सर डोनाल्ड 'डॉन' ब्रेडमैन]
मैंने भगवान को देखा है। वह टेस्ट मैच में भारत की तरफ से नंबर 4 पर खेलते हैं।
[मैथ्यू हेडेन]
वह 99.5 प्रतिशत परफेक्ट हैं। मैं उनका मैच देखने के लिए टिकट खरीदने को भी तैयार हूँ।
[सर विवियन रिचर्ड्स]
ऐसे महान खिलाड़ी से पिटने में शर्म की कोई बात नहीं है। वह सर डॉन के बाद दूसरे महानतम क्रिकेटर हैं।
[स्टीव वॉ]
वह निर्विवाद रूप से गेंदबाजों के लिए मुसीबत खड़ी करने वाले उन तीन महानतम बल्लेबाजों में से हैं, जिन्हें मैंने अपनी जिंदगी में देखा। दो अन्य हैं सुनील गावस्कर और विवियन रिचर्ड्स।
[वसीम अकरम]
छूट गए छक्के
हाँ.. हाँ.. एक नई बॉल बाकी है। पर मैंने उसे 'छोटू' के लिए रख छोड़ा है!
[जावेद मियाँदाद से इमरान खान]
(सचिन का पहला टेस्ट मैच-1989)
हम उस टीम से नहीं हारे जिसे इंडिया कहते हैं, हमें उसने हराया है.. जिसका नाम सचिन है।
[मार्क टेलर]
(चेन्नई टेस्ट मैच-1998)
एबी, रन के मामले में यह छोटू तुमको पीछे छोड़ देगा!
[एलेन बार्डर से मर्व ह्यूंज]
(18 साल के सचिन के पर्थ में शतक जड़ने के बाद)
यह खौफनाक है..हम इसको गेंद फेंके तो किस तरफ से???
[एलेन बार्डर]
(कोका कोला कप, शरजाह)
तुझे पता है..तूने किसका कैच छोड़ा है???
[रज्जाक से वसीम अकरम]
(विश्वकप 2003)
मानती है टाइम मैग्जीन
..हमारे पास चैंपियंस हैं, हमारे पास लीजेंड्स हैं, पर हमारे पास दूसरा सचिन तेंदुलकर न कभी भी था और न कभी होगा!
सचिन की बैटिंग देखने को मैंने कई बार अपनी शूटिंग सरकाई है।
[अमिताभ बच्चन]
खेल को वह हमेशा अपना 100 प्रतिशत देते हैं। उनमें आज भी किसी स्कूली छात्र जैसा जोश नजर आता है, जिसे देखकर मुझमें ललक भी उठती है और गर्व भी होता है। टीम के लिए सचिन से उम्दा कोचिंग मैनुअल हो ही नहीं सकता।
[महेंद्र सिंह धौनी]
* मनीष त्रिपाठी

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