एक अध्ययन के अनुसार 10 से 15 प्रतिशत पारिवारिक झगड़ों का कारण दो तरह के मनोरोग होते है। बेबुनियाद शक और व्यर्थ के वहम। ये मनोरोग रिश्तों को खराब करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कैसे लाएं इन रोगों को काबू में..?
शक और वहम पति-पत्नी के रिश्तों में अनबन के अलावा अन्य रिश्तों में भी विवाद के बीज बो देते हैं। एक अध्ययन के अनुसार तलाक के 10 फीसदी मामले इन दोनों मनोरोगों- शक और वहम (Obsession) के चलते ही होते हैं।
शक के लक्षण
* रोगी को ऐसा लगता है कि घर के या बाहर के लोग उसके खिलाफ साजिश रच रहे हैं और उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।
* सच्चाई के विपरीत रोगी को अपने जीवनसाथी की निष्ठा व आचरण पर शक होता है। उसे लगता है कि उसके जीवनसाथी का किसी अन्य शख्स के साथ 'सबध' है।
* रोगी को हर वक्त यह लगता है कि सभी उसके विषय में बुरी-भली बातें करते रहते हैं।
* निराधार शक के चलते रोगी अपने ही परिजन या जीवनसाथी से उलझ पड़ता है और मारपीट व तोड़फोड़ तक कर बैठता है।
वहम के लक्षण
* रोगी के मन में बार-बार परेशान करने वाले विचार आते हैं, जो उलझन व भय पैदा करते हैं। जैसे अच्छी तरह से दरवाजा बद करने के बाद यह वहम पैदा होना कि कहीं दरवाजा खुला तो नहीं रह गया? ऐसे में रोगी को चोरी या किसी अनहोनी का भय सताने लगता है और रोगी इस वहम को दूर करने के लिए बार-बार व्यर्थ में दरवाजा देखता रहता है।
* शरीर व स्वास्थ्य को लेकर वहम बन जाना कि कहीं मुझे एड्स, कैंसर या हार्ट अटैक न हो जाए। ऐसे में रोगी बार-बार डॉक्टर से परामर्श लेता है और अनावश्यक जाचें कराता है।
* गदगी के वहम में रोगी सारा दिन सफाई ही करता रहता है।
* रोगी वहम के आगे अपने परिजनों की बात नहीं सुनता। ऐसे में प्राय: उसका परिजनों से झगड़ा व तनाव बना रहता है।
इलाज
रोग की सही समय पर पहचान कर इलाज कराने से अनेक प्रकार के पारिवारिक झगड़ों व समस्याओं से बचा जा सकता है। शक और वहम दोनों का ही इलाज सम्भव है। वहम के इलाज में दवाओं के साथ-साथ मनोचिकित्सा भी कारगर है।
मनोचिकित्सा के अंतर्गत कॉग्निटिव बिहेवियर थेरैपी की सहायता से रोगी को अपने वहम के निरर्थक होने का बोध कराते हैं। साथ ही उसे वहम से उत्पन्न भय से उबारने वाली तकनीकें भी बताई जाती है। वहीं शक का इलाज सिर्फ दवाओं से ही सभव है।