रक्तदान से लेकर स्किन टाइट कपड़े, इस्लाम में सब हराम


नई दिल्ली। इस्लामी कायदे कानूनों के बारे में लोगों संदेहों का निराकरण करने वाली संस्था दारुल उलूम देवबंद इस साल जीवन से जुड़े अलग-अलग फतवों को लेकर खासी चर्चा में रही। देवबंद ने जहां रक्तदान को हराम करार दे दिया, वहीं महिलाओं और पुरूषों के एक साथ काम करने को भी अवैध बताया।
देवबंद ने अपने एक फतवे में कहा कि इस्लाम के मुताबिक केवल पति को ही तलाक देने का अधिकार है और पत्नी अगर तलाक दे भी दे तो भी वह वैध नहीं है।
एक व्यक्ति ने देवबंद से पूछा था कि मेरी पत्नी ने मुझसे तीन बार तलाक कहा, लेकिन हम अब भी साथ रह रहे हैं, क्या हमारी शादी जायज है? इस पर देवबंद ने कहा कि केवल पति की ओर से दिया तलाक ही जायज है और पत्नी को तलाक देने का अधिकार नहीं है।
इसके अलावा देवबंद ने अपने एक फतवे में यह भी कहा कि पति अगर फोन पर भी अपनी पत्नी को तलाक दे दे तो वह भी उसी तरह मान्य है जैसे सामने दिया गया।
देवबंद ने अंगदान और रक्तदान को भी इस्लाम के मुताबिक हराम करार दे दिया। देवबंद से पूछा गया था कि रक्तदान करना इस्लाम के हिसाब से सही है या गलत?
इसके जवाब में देवबंद ने कहा कि अपने शरीर के अंगों के हम मालिक नहीं हैं, जो अंगों का मनमाना उपयोग कर सकें, इसलिए रक्तदान या अंगदान करना अवैध है। हालांकि अगर किसी नजदीकी संबंधी का जीवन बचाने के लिए आप रक्तदान करें, तो इसकी अनुमति है।
इस्लामिक विद्वानों ने भी देवबंद के इस फतवे का विरोध करते हुए अपने समुदाय के सदस्यों से ज्यादा से ज्यादा रक्तदान और अंगदान करने की अपील की।
समुदाय की महिलाओं के बारे में भी इस बार कई फतवे आए। एक फतवे में कहा गया कि इस्लाम के हिसाब से महिलाओं के 'स्किन टाइट' कपड़े पहनने की मनाही है और लड़कियों की ड्रेस ढीली और साधारण होनी चाहिए।
वहीं गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल पर भी देवबंद ने एक फतवा जारी कर सनसनी फैला दी। एक व्यक्ति ने देवबंद से पूछा कि उसकी पत्नी को थायराइड की समस्या है, जिसके चलते उसके गर्भवती होने से च्च्चे पर असर पड़ सकता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए उसे चिकित्सक ने गर्भनिरोधक के इस्तेमाल की सलाह दी है और क्या वह इस्लाम के मुताबिक गर्भनिरोधक का इस्तेमाल कर सकता है।
इसके जवाब में देवबंद ने कहा कि चिकित्सक की सलाह के बाद उसे इस बारे में हकीम से परामर्श लेना चाहिए और अगर वह भी उसे गर्भनिरोधक का उपयोग करने की सलाह देता है, तो वह ऐसा कर सकता है।
देवबंद ने महिलाओं को काजी या न्यायाधीश बनाने को भी लगभग हराम करार दे दिया। देवबंद ने इस बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में फतवा देते हुए कहा महिलाओं को न्यायाधीश बना सकते हैं, लेकिन यह लगभग हराम ही है और ऐसा न करें, तो ज्यादा बेहतर है।
देवबंद ने कहा कि यह हदीस में भी दिया गया है, जिसका मतलब है कि जो देश एक महिला को अपना शासक बनाएगा, वह कभी सफल नहीं होगा, इसलिए महिलाओं को न्यायाधीश नहीं बनाया जाना चाहिए।
इसी साल देवबंद ने महिलाओं के पुरूषों के साथ काम करने को भी हराम बताया। देवबंद ने ऐसे सभी स्थानों पर महिलाओं के काम करने को गलत बताया, जहां वे पुरूषों से बिना बुर्के के स्वछंदता से बातचीत करती हों।

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